विजेन्द्र गुप्ता
नई दिल्ली, दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2018 आप सरकार के घोर कुशासन, असफलताओं और अनियमितताओं से परिपूर्ण रहा। सरकार ने पूरा वर्ष केन्द्र, उप राज्यपाल तथा दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ टकराव और वाद-विवादों में व्यतीत किया। सरकार ने अपनी विफलताओं को ढकने के लिये सारा दोष इन पर मढ़ दिया। संवैधानिक संस्थाओं और संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के साथ सरकार के सम्बंध अत्यंत कड़वाहट भरे रहे। इसका खामियाजा दिल्ली के आम आदमी को भुगतना पडा़। सरकार संकीर्ण राजनीति से उपर उठकर जनहित में कार्य करने में बुरी तरह विफल रही। उन्होंने कहा कि सरकार इतनी दुर्भावना से ग्रस्त रही कि वे अपने रास्ते से भटक गई।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार का वर्ष 2018 में प्रस्तुत ग्रीन तथा टाइम लाइन बजट टाँय-टाँय फिस्स हुआ। सरकार ने 1000 कलस्टर बसों, 1000 सीएनजी बसों तथा बिजली से चलने वाली बसों के लिये जो टाइमलाइन निर्धारित करी थी वह फैल हो गई। आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक, हास्पीटल मेनेजमेंट सिस्टम, स्कूलों में सीसीटीवी केमरा लगाने, डोर स्टेप राशन डिलीवरी की टाइम लाइन भी हवा हवाई बन कर रह गई। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि फरवरी में मुख्य सचिव पर हमले और मार-पिटाई और वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों के साथ टकराव से पैदा हुई उलझनों ने समूचे प्रशासन को महीनों के लिये पंगु बना दिया। मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री ने उप राज्यपाल कार्यालय में धरने पर बैठ संवैधानिक संकट पैदा कर दिया। इसके कारण दिल्ली का विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ।
नेता विपक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचित सरकार को जुलाई के प्रारम्भ में प्रशासनिक और नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया परंतु 6 माह बीत जाने के बाद भी सरकार के कार्य में शिथिलता बनी हुई है और विकास के कार्य अभी भी ठप्प हैं। एक भी प्रस्ताव उप राज्यपाल के पास नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि वाई फाई अभी तक क्यों नहीं चालू हुआ? नये मोहल्ला क्लिनिक बन नहीं रहे हैं और जो चल रहे हैं उनकी हालत खराब है। सरकार ने ई-पाॅज को ठप्प कर दिया परंतु राशन की डोर स्टेप डिलीवरी प्रारम्भ नहीं करी। झुग्गी झोपड़ी वालों को एक भी मकान नहीं दिया।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार ने 500 नये स्कूल खोलने की बात कही थी ताकि हर बच्चे को अपने घर के पास ही क्वालिटी शिक्षा उपलब्ध हो सके। परंतु सरकार एक भी नया स्कूल खोलने में विफल रही। घर के नजदीक स्कूल न होने के कारण लाखों बच्चे अभी भी शिक्षा से वंचित हैं या उन्हें घर से मीलों दूर जाना पड़ता है। सरकार अपने वायदों के अनुसार अस्पतालों में 30, 000 नये बिस्तर उपलब्ध कराने तथा 900 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने में विफल रही। वर्ष 2018 में अस्पतालों में बिस्तर बढ़ने के बजाय घट गये। सरकार एक भी लो-फ्लोर अथवा कलस्टर बस सड़क पर उतारने में विफल रही। विजेन्द्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री का आह्वान किया कि जो बीत गया सो बीत गया। नये वर्ष से वे पूरी पूरी ईमानदारी और समर्पण से दिल्ली के नागरिकों के हितों के लियेे अपने वायदे के अनुसार कार्य करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो जनता वर्ष 2020 में उन्हें सबक सिखाने में पीछे नहीं हटेगी।